Saturday, June 30, 2012

सुदिनम सुदिनम जन्मदीनं तव | भवतु मंगलं जन्मदीनं || चिरंजीव कुरु किर्तीवर्धनं | चिरंजीव कुरु पुण्यवर्धनं || विजयी भवतु सर्वत्र सर्वदा | जगति भवतु तव सुयशगानं || जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं एवं बहुत-बहुत बधाई....!! हम उस परमेश्वर से ये प्रार्थना करते है कि ये दिन आपके जीवन में बार बार आये और आपको उतम स्वास्थ्य, दीर्घ आयु तथा आने वाला प्रत्येक दिन, आपके जीवन में अनेकानेक सफलताएँ एवं अपार खुशियाँ लेकर आये ! इस अवसर पर ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह, यश, ऐश्वर्य, उन्नति, प्रगति, आदर्श,कीर्ति, विकास सुख, समृद्धि, वैभव, स्वास्थ्य, प्रसिद्धि एवं अपार खुशियाँ के साथ आजीवन आपको जीवन पथ पर गतिमान बनाये रखे,,,,....!! ईश्वर करे आपका आनंद और उल्लास जगे.आपके सुखद व उज्जवल भविष्य की मंगलकामना ईश्वर से करते हैं ईश्वर आपकी मनोकामनाए पूर्ण करे..हमारी प्रार्थना आपकी साथ है ... भारत माता की जय, वन्दे मातरम्...जय हिंद !!!!

कुछ सवाल हैं मन में.... बस ! सवाल ही हैं.... जबाब नहीं हैं.क्या कोई ज्ञानी पुरुष मेरी जिज्ञासा शांत कर सकता है ? 1. क्या हिंदुस्तान में हिन्दुस्तानी होना....हिन्दू होना अपराध है ? 2. क्या ये सारे नेता जैसे नितीश कुमार, लालू प्रसाद, पासवान, मुलायम सिंह, दिग्विजय सिंह सहित सारे कांग्रेसी जो खुद को सेकुलर नेता बताते हैं असल में मुस्लिम-परस्त नहीं हैं ? मैं खुद किसी जाति, सम्प्रदाय या किसी धर्म का विरोधी नहीं पर चूंकि मैं खुद एक हिन्दू हूँ तो क्यों ये सारे मेरे हिन्दू होने पर बबाल खड़ा करते हैं ? 3. धर्मनिरपेक्षता का सही सही मतलब क्या है ? हिन्दुओं को गाली देना, हिन्दुओं का उत्पीडन करना, अपमान करना धर्मनिरपेक्षता कैसे हो गया ? यहाँ गौरतलब बात ये है कि हिंदुस्तान में करीब करीब 80% आबादी हिन्दू है. 4. क्यों नरेंद्र मोदी हिंदुस्तान के प्रधान मंत्री नहीं बन सकते ? क्या सिर्फ इस लिए की वो हिन्दुओं के पक्ष की भी बात करते हैं ? आज भी नरेंद्र मोदी की बात होती है तो गुजरात दंगों की बात होती है लेकिन गोधरा काण्ड पर सब चुप्पी साध जाते हैं ....क्यों ? गोधरा काण्ड ना होता तो गुजरात में दंगे नहीं होते.....इस सच्चाई से ये कथित सेकुलर नेता मुंह फेर लेते हैं....क्यों ? 5. यदि नरेंद्र मोदी एक दंगे के कारण इन कथित सेकुलर नेताओं की आँख की किरकरी बने हुए हैं तो कार सेवकों पर खुले आम गोली चलाने वाले मुलायम सिंह यादव, राजस्थान में दंगो के बाद अशोक गहतोल, कोसीकलां के दंगों के बाद अखिलेश यादव, ब्रह्मेश्वर मुखिया के क़त्ल के बाद के दंगो के बाद नितीश कुमार और 1984 के सरे आम सिखों के क़त्ल-ऐ-आम के गुनाहगार सारे कांग्रेसी नेता सेकुलर कैसे हो गये ? 6. कश्मीर से करीब 12 लाख हिन्दू-सिख विस्थापित कर दिए गये इस पर इन सब कथित सेकुलर नेताओं की आज तक बोलती क्यों बंद है ? 7. बाटला हाउस काण्ड में मारे गये आतंकवादियों की मौत पर घडियाली आंसूं बहाने वाले इन सब कथित सेकुलर नेताओं का अफज़ल गुरु, कसाब को जमाई की तरह पालना वो भी हम गरीब हिन्दुस्तानियों की गाढ़ी हाड़तोड़ कमाई पर लगे टैक्स खर्च कर के कहाँ की धर्मनिरपेक्षता है ? 8. समाजवादी पार्टी का नंबर 2 नेता आज़म खान जो भारत माता को डायन कहता है....कैसे सेकुलर है ? 9. हज यात्रा पर सब्सिडी और अमरनाथ यात्रा पर टैक्स....("टैक् स"शब्द गलत है सही शब्द"जजिया"है) कैसे धर्मनिरपेक्षता कहलाता है ? 10. संविधान की मर्यादा के उलट मुसलामानों को 4.5% आरक्षण देने (जिसे माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी बाद में अवैध घोषित किया) की बात कहने वाले किधर से धर्मनिरपेक्ष हैं ? 11. ऐसी व्यवस्था....अगर ऐसे ही चलती रही तो इस देश का अंत क्या होगा ?

अगणित तलवारों पर अकेला ही भारी हूँ भाषा का योद्धा मैं क़लम-शस्त्रधारी हूँ ये मत समझे कोई शब्दों का छल हूँ मैं जीवन के कड़वे अध्यायों का हल हूँ मैं निर्बल-असहायों का गहराता बल हूँ मैं मानस को निर्मल करने वाला जल हूँ मैं सूर और तुलसी हैं मेरे संबंधीजन वाल्मीकि-वंशज, कबिरा का अवतारी हूँ अगणित तलवारों पर... दिग्भ्रमित समाजों के सारे भ्रम तोड़ूँगा एक भी विसंगति को जीवित कब छोड़ूँगा न्यायों के छिन्न-भिन्न सूत्रों को जोड़ूँगा शोषण का बूँद-बूँद रक्त मैं निचोड़ूँगा शुभ कृत्यों पर हावी होते दुष्कृत्यों को शब्दों से रोकूँगा, करता तैयारी हूँ अगणित तलवारों पर... ज़हरीले आकर्षण नयनों में पलते हैं देखूँगा ये कैसे मानव को छलते हैं सूर्य सभ्यताओं के उगते और ढलते हैं मेरे संकेतों पर युग रूकते-चलते हैं मानवता की रक्षा-हित निर्मित दुर्गों का मैं भी इस छोटा-सा कर्मठ प्रतिहारी हूँ अगणित तलवारों पर... लक्ष्य तो कठिन है पर जैसे हो पाना है भटकी इस जगती को रस्ते पर लाना है रावणों के मानस को राममय बनाना है एक नई रामायण फिर मुझको गाना है माँ सरस्वती मुझ पर भी कृपा किए रहना आपकी चरण-रज का मैं भी अधिकारी हूँ अगणित तलवारों पर... दुख के अँधियारों में मैंने काटा जीवन लगता है मुट्ठी, दो मुट्ठी आटा जीवन देने का तत्पर है प्रतिपल घाटा जीवन जैसा है सबकी सेवा हित बाँटा जीवन संघर्षों की दुर्गम घाटियाँ नियति में हैं हार नहीं मानूँगा, धैर्य का पुजारी हूँ अगणित तलवारों पर...

कल शाम अचानक भेंट हुई एक छोटे-से मजदूर से मैं चौंक पड़ज्ञ जब देखा मैंने उसको थोड़ी दूर से तन मैले कपड़ों से ढँका हुआ और हाथ में था एक थैला सारे दिन का थका हुआ और था बिल्कुल अकेला.. जब देखा मैंने उसको तो मैं पूछ ही बैठा उससे तुम कौन हो मेरे बच्चे और खड़े यहाँ हो कैसे? वो बोला- ”क़िस्मत का मारा हालातों से मजबूर हूँ सभी लोग कहते हैं मुझको मैं छोटा-सा मजदूर हूँ” मैं बोला- ”तुम बालक हो, तुम मजदूरी क्यों करते हो? हालात तुम्हारे ऐसे कैसे जो हालातों से लड़ते हो?” वो बोला- ”बाबूजी देखो मैं लगता हूँ तुमको बालक लेकिन तुम नहीं जानते मैं हूँ अपने घर का पालक.. बाप मुआ शराबी है घर में दस जन खाने वाले माँ बेचारी पेट से है सगे नहीं घराने वाले.. छोटे भाई-बहन मेरे भूख से हैं घर पर व्याकुल ऐसे में जाता हूँ कमाने गया मैं अपने बचपन को भूल” ये कहकर वो रो पड़ज्ञ और मैं चुप-चाप खड़ा था मेरे मन में कई प्रश्नों का एक सैलाब पड़ा था.. अब मैं उससे कुछ पूछूँ मेरे मन में साहस न था मेरे लिए तो अब वो बच्चा इक छोटा-सा बालक न था

Wednesday, June 20, 2012

देवर्षि, ब्रह्मर्षि, ऋषि-मुनि, साधु-संत, महात्माओं तथा भक्तों ने ज्ञान प्राप्ति के लिए अनेक प्रकार की साधनाओं का मार्ग प्रशस्त किया है। हालांकि सभी साधनाओं का लक्ष्य ब्रह्म की प्राप्ति तथा अज्ञान की निवृत्ति ही है। हनुमत-साधना भी उन्हीं में से एक है। हनुमत-साधना से अनेक लौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं। कहा भी गया है कि श्री हनुमानजी `अष्टसिद्धि-नवन िधि के दाता'हैं। `अणिमा महिमा, चैत्र गरिमा लघिमा तथा प्राप्ति: प्राकाम्य ईशित्वं, वशित्वं चाष्टासिद्धिय: ।। अर्थात् अणिमा, लघिमा, महिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, वशित्व तथा ईशित्व इन अष्ट सिद्धियों के स्वामी भक्त शिरोमणि हनुमानजी हैं। हनुमानजी ने सीतान्वेषण के समय अपनी इन शक्तियों का प्रयोग किया था। मारुति ने अपनी इन शक्तियों का प्रयोग कब-कब किया था, आइये इस पर एक नज़र डालें। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में इसका वर्णन किया है - १. अणिमा इस सिद्धि से योगी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकता है। हनुमानजी ने इस शक्ति का प्रयोग लंका प्रवेश के समय किया था। मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी ।। श्री हनुमानजी ने मच्छर के समान लघु से लघु रूप धारण कर नर रूपधारी श्री हरि अर्थात् श्रीरामचंद्रजी का स्मरण करके लंका में प्रवेश किया। २. लघिमा : योग से प्राप्त वह शक्ति जिससे योगी लघु, बहुत छोटा या हल्का बन सकता है। हनुमानजी ने इसका प्रयोग नागमाता सुरसा के समक्ष किया था। जस-जस सुरसा बदनु बढ़ावा। तासु दून कपि रूप देखावा। सत योजन तेहि आनन कीन्हा। अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा। जैसे-जैसे सुरसा मुख का विस्तार बढ़ाती थी, हनुमानजी उसका दूना रूप दिखलाते थे। जब उसने सौ योजन मुख किया, तब हनुमानजी ने लघु अथवा बहुत ही छोटा रूप धारण कर लिया। ३. महिमा हनुमानजी की महिमा का बखान ऋक्षराज जामवंत की वाणी से गोस्वामीजी के शब्दों में- कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ।। अर्थात् हे तात! जगत् में कौन सा ऐसा कठिन काम है जो तुमसे न हो सके? यहां जामवंत ने हनुमानजी की महिमा का बखान किया, जिस पर हनुमानजी ने अपनी इस शक्ति का प्रयोग कर समुद्र पार किया। ४. गरिमा द्वापर युग में गंधमादनांचल में गुरुत्व अथवा भारीपन लिये हुए अपनी पूंछ फैलाकर स्वच्छंद पड़े गरिमामय बजरंग बली, बलगर्वित भीमसेन से बोले - `अत्यधिक वृद्धावस्था के कारण मैं स्वयं उठने में नितांत असमर्थ हूं, कृपया आप ही मेरी इस पूंछ को हटाकर आगे बढ़ जाइये।'महाबली भीमसेन पहले बायें हाथ से, फिर दायें हाथ से तदुपरांत दोनों हाथ से अपने संपूर्ण बल का उपयोग करने के उपरांत भी जब महाकपि की पूंछ को टस से मस न कर सके, तब उन्होंने महाकपि से क्षमा याचना की। (महाभारत) इस प्रसंग में महामारुति में गरिमा-सिद्धि का पूर्ण प्रस्फुटित रूप प्रत्यक्ष उपस्थित हो जाता है। ५. प्राप्ति प्राप्ति-सिद्धि प्रतिष्ठित होने पर साधक को वांछित फल प्राप्त होता है। सीताजी की खोज में अनेकानेक वानर-भालू चारों दिशाओं में गये, लेकिन उनमें श्री मारुति ही एक - अकेले सीतान्वेषक बने। ६. प्राकाम्य प्राकाम्य सिद्धि वह सिद्धि है, जिससे साधक की कामना पूर्ण होती है। श्री रामराज्याभिषेक समारोह के समय सर्वाधिक मूल्यवान मणियों को श्री रामभक्त हनुमान ने अपने दांतों से फटाफट फोड़ दिया। श्री रामभक्त ने भरे राजसभा में यह बात कही कि `जिस वस्तु में श्री राम नाम नहीं, वह वस्तु तो दो कौड़ी की भी नहीं। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजसभासदों के मध्य आसीन एक रत्न पारखी के पूछने पर कि क्या आपके शरीर में श्रीराम नाम लिखा है? हनुमानजी ने अपने बज्र नख से अपनी छाती का चमड़ा उधेड़कर दिखा दिया। श्री राम-जानकी उनके हृदय में विराजित थे और उनके रोम-रोम में श्रीराम नाम अंकित था। ७. वशित्व वह सिद्धि जिससे साधक सबको अपने वश में कर लेता है। सर्व सुख-दु:ख हनुमानजी के वश में हैं। गोस्वामीजी कहते हैं - सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।। आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक ते कांपै।। भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महावीर जब नाम सुनावै। नासै रोग हरै सब पीरा। जौ सुमिरै हनुमत बलबीरा।। ८. ईशित्व इस सिद्धि के प्रतिष्ठित हो जाने पर साधक में ऐश्वर्य तथा ईश्वरत्व भी स्वत: सिद्ध हो जाता है। अर्चना-आराधना के अनोखे हो देव तुम, सब जाति मानती है, ऐसे दयावान हो।' घर-घर पूजते हैं चित्र भी पवित्र मान, कोई ग्राम है नहीं, जहां न हनुमान हो।। हनुमानजी ग्यारहवें रुद्रावतार के रूप में जाने जाते हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने भगवान शंकर के हनुमान के रूप में अवतार लेने का वर्णन करते हुए रामचरितमानस में लिखा है : जेहि शरीर रति राम सों सोइ आदरहिं सुजान। रुद्रदेह तजि नेह बस बानर भे हनुमान।। जानि राम सेवा सरस समुझि करब अनुमान। पुरुषा ते सेवक भए हर ते भे हनुमान।। इस प्रकार यह सिद्धि भी उनमें सिद्ध होती है। हनुमान जी आज सर्वत्र प्रत्येक गांव यहां तक कि प्रत्येक घर में ईश्वर के रूप में पूजे जाते हैं। इस प्रकार श्री हनुमानजी के चरित्र में अष्टसिद्धि के प्रतिष्ठित स्वरूपों का स्पष्ट प्रमाण मिलता है। आञ्जनेय श्री हनुमान के इस स्वरूप का ध्यान इस प्रकार है : आञ्जनेयमतिपाटला ननं काञ्चनाद्रिकमनी यविग्रहम्। पारिजाततरुमूलवा सिनं भावयामि पवनामनन्दनम्।।

आज हिन्दू बिखरा पड़ा है अगर किसी से जागने के लिए कहो तो जवाब आता है की अकेले मैं क्या कर लूँगा कितनों को जगाऊँ मैं तो....मेरे हिन्दू भाइयों याद रखें बूंद-बूंद से सागर बनता है और एक आदमी के खड़े होने के से ही बाद लाइन और कारवां बनाना चालू हो जाता है...अगर इस बात से भी आपको आपका उत्तर नहीं मिलता तो एक बार इतिहास के पन्ने पलट दीजिये और हमारे पुरखों...बाप्पा रावल, महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी इत्यादि की कहानियां पढ़ें की कैसे इन्होने लोगो को जगाया और एक जज्बा भरा...तथा कैसे अकेले ही भीड़ आतताइयों से...हमारे शारीर में भी इन्ही पराक्रमी पुरखों का खून दौड़ रहा है जो अभी पानी नहीं बना है...उस खून में बस उबल थोडा ठंडा पड़ गया है...उस खून में एक उबल लाइए देश के लिए, अपने हिन्दू भाइयों और बहनों के लिए...फिर देखिये सारी परेसनियों का हल अपने आप निकल जायेगा|

Friday, June 15, 2012

जयजयभारत नमस्तेसदावत्सलेमात्रुभूमे त्वयाहिन्दुभूमेसुखमवर्धितोऽहम महामन्गलेपुण्यभूमेत्वदर्थे पतत्वेषकायोनमस्तेनमस्ते प्रभोशक्तिमनहिन्दुराष्ट्रांगभूता इमेसादरंत्वांनमामोवयम त्वदीयायकार्यायबद्धाकटीयम शुभामाशिषंदेहितत्पूर्तये अजय्यांचविश्वस्यदेहीशशक्तिम सुशीलंजगद्येननम्रंभवेत श्रुतंचैवयतकन्टकाकीर्णमार्गम स्वयमस्वीक्रुतंन:सुगंकारयेत समुत्कर्शनि:श्रेयसस्यैकमुग्रम परमसाधनंनामवीरव्रतम तदन्त:स्फुरत्वक्षयाध्येयनिष्टा ह्रुदन्त:प्रजागर्तुतीव्रानिशम विजेत्रीचन:संहताकार्यशक्तिर विधायास्यधर्मस्यसंरक्षणम परमवैभवंनेतुमेततस्वराष्ट्रम समर्थाभवत्वाशिषातेभ्रुशम ।।भारतमाताकीजय।।

वन्देमातरम् सुजलांसुफलांमलयजशीतलाम् शस्यशामलांमातरम्। शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं सुहासिनींसुमधुरभाषिणीं सुखदांवरदांमातरम्।।१।।वन्देमातरम्। कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले, अबलाकेनमाएतबले। बहुबलधारिणींनमामितारिणीं रिपुदलवारिणींमातरम्।।२।।वन्देमातरम्। तुमिविद्या,तुमिधर्म तुमिहृदि,तुमिमर्म त्वंहिप्राणा:शरीरे बाहुतेतुमिमाशक्ति, हृदयेतुमिमाभक्ति, तोमारईप्रतिमागडि मन्दिरे-मन्दिरेमातरम्।।३।।वन्देमातरम्। त्वंहिदुर्गादशप्रहरणधारिणी कमलाकमलदलविहारिणी वाणीविद्यादायिनी,नमामित्वाम् नमामिकमलांअमलांअतुलां सुजलांसुफलांमातरम्।।४।।वन्देमातरम्। श्यामलांसरलांसुस्मितांभूषितां धरणींभरणींमातरम्।।५।।वन्देमातरम

In 1857 the temple was handed over to the Hindus by Muslims by the order of Bahadur Shah Zafar 1886 March District court of the British accepts demolition of temple but refuses permission to rebuid temple 1986 feb District court orders openingof the locked temple under the Masjid like domes 1886 March District court of the British accepts demoloition of temple but refuses permission to rebuild temple So in October 30 1990 , Vishva Hindu Parishad (World Hindu Council) decides to do Karseva at Ayodhya to replace the dome like structures standing overthe temple. This is projected out to thewhole world as a threat to a (non-existent) mosque there by All India Babri Masjid Action Committee and also by pseudo-secularist parties like Congress-I and Communits and the ruling Janata Dal. Mr.V.P.Singh the then prime minister first talks about 'What Masjid there' and then backtracks and vows to protect the 'Masjid' there. Mualayam Singh Yadav the chief minister of UP joins the race to become the protector of the 'Masjid'. The drama unfolds at the banks of Sarayu river on the morning of October30 1990...over a non-existent Masjid and a race to get the Muslim votes. Despite the heaviest security arrangements UP state has ever seen, with 40,000 CRPF and police personnel at Ayodhya town alone and a total of 2,65,000 forces put in nabbing operations throughout the state to prevent people reaching Ayodhya, more than 1,00,000 Karsevaks 'appear'inside Ayodhya as early as morning 7:00 am, on October 30 1990 as announced four months back by VHP leaders. Karsevaks started moving over the bridge on the river Sarayu. Police starts Lathi Charge and continues till 10:00 am. But Karsevaks did not retaliate and nor did they run away. More KarSevaks joined in. By around 11:00 am more than 3,00,000 KarSevaks had come inside the little town of Ayodhya. Police attacked with tear gas shells. Findng KarSevaks neither retaliating nor dispersing police started respecting the karsevaks. Police Superintendent incited police to attack Karsevaks. VHP leader Ashok Singhal appeared. Police Superintendent himself started attacking Hindu sadhus. Karsevaks got angry at the police attacking the Sadhus. They broke all barricades towards Sri Ramajanma Bhoomi and started proceeding towards the Janmasthan. Former DSP of Police and a VHP leader Sri.Dixit pacified the karsevaks. Again karsevaks became peaceful. But they had reached their target. Police were suddenly ordered to start firing on these Karsevaks well witin the heart of Ayodhya without warning shots. Braving the bullets and lathis Karsevaks entered the site. RamLalla Hum Aygaye Mandir Wahan Banayeng e reverbrated throughout the air. They claimed over the domes , the structurewhich had been described by MahatmaGandhi as 'symbol of slavery', and hoisted the saffron flag. Police then opened fire on Karsevaks. They shot to kill. More than 100 Karsevaks died and many more disappeared. Later bodies of Kar sevaks killed in police firing were reovered from Sarayu with sandbags hooked to the body so that they would not float. Even women and old sadhus were not spared. Mulayam Singh Yadav had done a deed that would make a Babur or Aurnagazeb or gaznavi proud and he would be remembered by every Hindu till the end of the world as a traitor and a butcher of Ram bakths for Muslim votes. This is the realty of mulayam singh yadav ruling party in up... By.pramod pandey

न्यूटन के असुलझे गणित को चुटकी में हल किया भारतीय शौर्य ने लंदन 15/06/ 2012 न्यूटन के मैथ्स की जिस थिअरी को बड़े-बड़े महारथी 350 साल में नहीं सुलझा सके, उसे 16 साल के एक भारतीय स्टूडेंट ने चुटकी में सॉल्व कर दिया। इस स्टूडेंट का नाम शौर्य रे है और वह जर्मनी के स्कूल में पढ़ता है। शनिवार को मीडिया में आई रिपोर्ट में कहा गया हैकि इस पहेली को सर आइजक न्यूटन ने तैयार किया था। डेली मेल के मुताबिक, ड्रेसडेन में रहने वाले शौर्य ने जिन दो फंडामेंटल पार्टिकल डायनमिक्स थिअरी को सॉल्व किया, उसे हल करने के लिए फिजिक्स के बड़े से बड़े जानकारों को पावरफुल कंप्यूटरों की मदद लेनी पड़ी थी। शौर्य के इस पहेली का सॉल्यूशन निकालने का फायदा यह होगा कि अब साइंटिस्ट्स किसी फेंकी गई बॉल का उड़ान पथ (फ्लाइट पाथ) कैलकुलेट कर सकेंगे और इसके साथ ही वह इसका अनुमान लगा सकेंगे कि बॉल दीवार से टकराकर कैसे उछलेगी। न्यूजपेपर के मुताबिक, शौर्य ने ये पजल ड्रेसडेन यूनिवर्सिटी के एक स्कूल ट्रिप के दौरान सॉल्व किया। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों का दावा था कि इन्हें कोई सुलझा नहीं सकता। शौर्य कहता है कि मैंने अपने आपसे पूछा कि तुम इसे क्यों नहीं सॉल्व कर सकते। मुझे यकीन नहीं था कि इसका कोई सॉल्यूशन नहीं हो सकता। गौरतलब है कि शौर्य छह साल की उम्र से ही इस तरह के उलझे सवालों को सॉल्व करना शुरू कर दिया था। वह कहता है कि मैं जीनियस नहीं हूं। चार साल पहले जब वह कोलकाता से जर्मनी पहुंचा को उसे जर्मन भाषा बिलकुल नहीं आती थी, लेकिन अब वह पूरे फ्लो के साथ जर्मन बोलता है। स्कूल में उसके टैलंट को देखते हुए उसे दो साल आगे बढ़ा दिया।